एकेनापि सुपुत्रेण सिंही स्वपीति निर्भयम्।
सहैव दशभिः पुत्रेण भारं वहति गर्दभिः।।
अर्थात् -शेरनी एक पुत्र के होने पर भी निर्भय होकर नींद लेती है लेकिन दश पुत्रों के साथ होने पर भी गधी को भार वहन करना पड़ता है। 

टिप्पणियाँ