गेयं गीतं स्वदेशस्य देयं दानं स्वधर्मतः।
ज्ञानामृतं पेयं नित्यं मनोजेयं प्रयत्नतः।।
गीत अपने देश के गाने चाहिए दान अपने धर्म के अनुसार देना चाहिए ज्ञान रुपी अमृत को नित्य ही पीने का प्रयत्न करना चाहिए और मन को जीतने का प्रयत्न करना चाहिए।
गेयं गीतं स्वदेशस्य देयं दानं स्वधर्मतः।
ज्ञानामृतं पेयं नित्यं मनोजेयं प्रयत्नतः।।
गीत अपने देश के गाने चाहिए दान अपने धर्म के अनुसार देना चाहिए ज्ञान रुपी अमृत को नित्य ही पीने का प्रयत्न करना चाहिए और मन को जीतने का प्रयत्न करना चाहिए।
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