संस्कृत भाषा शिक्षण

मातृवत् परदारेषु पर द्रव्येषु लोष्ठवत्।
आत्मवत् सर्वभूतेषु य पश्यति स पण्डित
जो मनुष्य समस्त पराई महिलाओं को माँ के समान समझे दूसरों के धन को मिट्टी के ढेले के समान माने और समस्त प्राणियों में आत्मतत्व का दर्शन करे उस मनुष्य को ही विद्वान समझें

टिप्पणियाँ