संस्कृत भाषा शिक्षण

वरमेको गुणी पुत्रो न च मूर्खशतान्यपि ।
एकश्चद्र तमोहन्ति न च तारा सहस्रकम ।।
सौ मुर्ख पुत्रों से एक गुणवान पुत्र ही श्रेष्ठ है जिस प्रकार एक चन्द्रमा रात्रि के अन्धकार को दूर कर देता है उस अन्धकार को हजारों तारे मिल कर सकते हैं भी दूर नहीं कर सकते हैं। 

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