भारतीय संस्कृति में वेदोपदेश (कठोपनिषद्)

धर्मं चर। सत्यं वद। स्वाध्यायात् मा प्रमदः। मातृ देवो। भव पितृ देवो ।आचार्य देवो भव। अतिथि देवो भव। यानि अस्माकं सुचरितानि तानि सेवितव्यानि नो इतराणि
हिन्दी अनुवाद = धर्म का आचरण करो। सदा सत्य बोलो। स्वाध्याय से आलस्य मत करो। माँ की आज्ञा का पालन करें। पिता की आज्ञा का पालन करें। आचार्य की आज्ञा का पालन करें। अतिथि की हार्दिक शुध्द और पवित्र भाव से सेवा करें। जो भी हमारे सदाचार है उनका पालन करें अन्य किसी भी प्रकार का आचरण नहीं करें।

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